भारत में यूं तो बहुत सारे घाट, घाटी और पहाड़ी रास्ते हैं, लेकिन इनमें से कुछ तो ऐसे खतरनाक हैं कि जहां हर वक्त मौत का साया मंडराता रहता है। वाहन चालक का ध्यान जरा भी चूका तो समझो निश्चित ही चालक सहित सभी सवारी मौत के मुंह में चली जाएगी।
ऐसे ही कुछ खास और प्रसिद्ध रास्तों के बारे में हमने जानकारी जुटाई है। आप भी यदि कहीं जा रहे हैं, तो यह देख लें कि कहीं आपकी मंजिल के रास्ते में यह खतरनाक रास्ते तो नहीं है और यदि है तो आप संपूर्ण इंतजाम और सावधानी से जाएं। कहते हैं कि जानकारी ही बचाव है।
हालांकि यदि आप रोमांचक और साहसिक यात्रा के शौकिन है तो यह रास्ते आपने लिए सबसे अच्छे साबित होंगे, लेकिन यदि आप डरते हैं तो इन रास्तों पर से सही सलामत गुजर जाने के बाद आपको जिंदगी भर इसी के सपने आते रहेंगे।
पतरातू घाटी के खतरनाक रास्ते : भारतीय राज्य झारखंड में यूं तो पहाड़ी पर बहुत सारे घुमावदार रास्ते मिल जाएंगे लेकिन रामगढ़ से रांची के बीच की 35 किलोमीटर लंबी पतरातू घाटी का घुमावदार मोड़ जानलेवा है। हरे-भरे पेड़ों से घिरी घाटी की इस सड़क से नीचे उतरते हुए दो दर्जन से ज्यादा खतरनाक, घुमावदार मोड़ आते हैं। इस घाटी रास्ते में हरियाली के लिए लगाए गए लगभग 39 हजार पेड़ हैं।
इन घुमावदार रास्ते के एक किनारे पर हरे भरे वृक्ष और पहाड़ी है तो दूसरी किनारे पर गहरी खाई, इसकी वजह से यहां हमेशा बहुत सुरक्षित ड्राइविंग करनी पड़ती है। यहां एक भी चूक भारी पड़ सकती है। यह रोड पिठोरिया होते हुए पतरातू डैम साइट तक जाती है। घाटी के रास्ते में बरसाती नदियां और कुछ मौसमी झरने भी पड़ते हैं। बरसात में पूरी घाटी हरियाली की चादर में लिपटी है।
गंगटोक-नाथुला रोड : नाथुला दर्रा भारत के सिक्किम में डोगेक्या श्रेणी में स्थित है। यह दर्रा हिमालय के अंतर्गत पड़ता है। नाथूला दर्रा भारत के सिक्किम राज्य और दक्षिण तिब्बत में चुम्बी घाटी को जोड़ता है। यह 14 हजार 200 फीट की ऊंचाई पर है। इसी रास्ते से होकर कैलाश मानसरोवर जाया जा सकता है। हाल ही में चीन ने इसका रास्ता खोल दिया है। यह दर्रा प्राचीन रेशम मार्ग (सिल्क रूट) का भी एक हिस्सा है।
यह दर्रा गंगटोक के पूर्व की ओर 54 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। गंगटोक से नाथुला दर्रा तक जो रोड जाती है वह विश्व की खतरनाक सड़कों में से एक है। नाथूला दर्रे से निकटतम रेलवे स्टेशन 'न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन' है। गंगटोक भारत के उत्तर-पूर्व में स्थित सिक्किम की राजधानी है। गंगटोक देश के प्रमुख महत्त्वपूर्ण हिल स्टेशनों में एक है।
मसूरी रोड : देहरादून से मसूरी तक का रास्ता ऊंची ऊंची पहाड़ियों से होकर गुजरता है। लगभग 333 किलोमीटर का यह खतरनाक रास्ता हरे भरे वृक्षों से लदा हुआ है। रोमांच की चाह रखने वालों के लिए यह बहुत ही शानदार सफर है। यदि आप पुणे की पहाड़ियों से होकर मसूरी पहुंचते हैं तो रास्ते का रोमांच आप जिंदगी भर याद रखेंगे।
रोहतांग पास : हिमाचल प्रदेश में स्थित रोहतांग पास बहुत ही खतरनाक रोड है। यहां किसी भी प्रकार का वाहन चलाना आसान नहीं है। यहां आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती है। पहले रोहतांग को भृगु तुंग कहते थे। मनाली से रोहतांग पास जाना बहुत ही खतरों और रोमांच से भरा है। यहां रोहतांग दर्रा है जो उत्तर में मनाली, दक्षिण में कुल्लू शहर से 51 किलोमीटर दूर यह स्थान मनाली-लेह के मुख्यमार्ग में पड़ता है। पूरा वर्ष यहां बर्फ की चादर बिछी रहती है। यह सड़क मई से नवंबर तक आम तौर पर खुला है।
रोहतांग दर्रा और सोलांग वैली देखने के लिए कई साहसी पर्यटक रोहतांग पास की यात्रा करते हैं। रोहतांग का सफर बहुत ही सुहाना और रोमांचकारी होता है। हालांकि यहां के खतरनाक मोड़ और घाटियां दिल दहला देने वाली है। रोहतांग दर्रा समुद्री तल से 4111 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं। यह हिमालय का एक प्रमुख दर्रा है।
हाइवे पर व्यास नदी के साथ चलते हुए सारा रास्ता प्राकृतिक नजारों से भरा पड़ा हुआ है। प्रकृति की गोद में पड़ने वाले बर्फ से ढंकी पहाड़, नदी, नाले, छोटे-छोटे घर, घने वन और हरियाली के बीच में बने होटल, रिसोर्ट, लहराती सड़कों के दृश्य अपने आप में अजूबे हैं।
किलाड़-किश्तवाड़ रोड : भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर में स्थित किलाड़ से किश्तवाड़ के बीच की सड़क दुनिया की सबसे खतरनाक सड़कों से एक है। यहां कार से जाने का मतलब सीधे-सीधे आत्महत्या करने जैसा है। हिमाचल और जम्मू एवं कश्मीर में स्थित पांगी घाटी में स्थित है यह घाटी मार्ग।
जम्मू क्षेत्र से कश्मीर जाने के लिए तीन रास्ते हैं- पहला जम्मू-श्रीनगर हाईवे, दूसरा है मुगल रोड और तीसरा है किश्तवाड-अनन्तनाग मार्ग। बटोड से डोडा-किश्तवाड 110 किलोमीटर है। पुलडोडा से किश्तवाड लगभग 55 किलोमीटर है। श्रीनगर के रास्ते में सिंथन टॉप दर्रा पडता है जो लगभग 3800 मीटर ऊंचा है। सिंथन टॉप रोहतांग का ‘सहोदर’ है। दोनों ही दर्रे पीर पंजाल की श्रंखला में स्थित हैं। किश्तवाड से आगे चेनाब के साथ-साथ यही सड़क पद्दर, पांगी होते हुए लाहौल भी जाती है।
बाइक से इसका सफर भी मौत के मुंह में जाने जैसा है। यदि बाइक से आप रोड पार कर जाओ तो फिर किसी मंदिर या दर्गा पर जाकर माथा जरूर टेक देना। इसके अलावा उदयपुर-पांगी-किश्तवाड़ सड़क मार्ग भी बेहद ही खतरनाक है। यहां वही व्यक्ति जाए जो खतरों का खिलाड़ी हो।
यहां तक पहुंचने के लिए पहाड़ियों की ओर चढ़ती हुई कई घुमावदार और खतरनाक सड़कों को पार करना होता है तब जाकर कहीं भग के दर्शन होते हैं, लेकिन यदि आप जरा भी ध्यान चूके तो सीधे भगवान के पास पहुंच जाएंगे। यहां दुर्घटनाओं का खतरा हर दम बना रहता है।
यहां रास्ता घुमावदार, सकड़ा और कई जगहों से खड़ा है। नीचे खाई नजर आती है जहां शाम ढलते ही अंधेरा और धुंध छाने लगती है। अगर आपके वाहन में फॉग लाइट नहीं हो तो आप इस सड़क पर नहीं चल सकते हैं।
माउंट आबू तक पहुंचने के लिए 28 किलोमीटर के दर्रे से जाना पड़ता है जो आबू रोड़ से शुरू होता हैं। यह सड़क कुछ जगहों पर बहुत खतरनाक हो जाती है। जहां एक बार में एक ही वाहन सड़क पर चल सकता हैं, ऐसे में बहुत सावधानी रखना होती है। सावधानी हटी की दुर्घटना घटी। नीचे खाई में गिरने के मौके बहुत होते हैं
यह सड़क बहुत संकरी है और यहां भारी बर्फबारी, जानलेवा हवाएं और लगातार भूस्थलन होता रहता है। थोड़ी बहुत बारिश से ही इस पर कीचड़ जमा हो जाती हैं, जिसके कारण सड़क पर फिसलन बढ़ जाती हैं।
यह मनाली को लाहौल-स्पीति और जांस्कर से भी जोड़ता है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग-21 का ही भाग है। यह सड़क कुछ जगहों पर दोनों तरफ से पहाड़ों से घिरी हुई और घुमावदार है। यहां अक्सर भूस्खलन होती रहती हैं। इस सड़क पर बाइक से यात्रा करना भी साहसिक लोगों के बस की बात है।
किन्नौर रोड़ : हिमाचल प्रदेश के प्रमुख जिले किन्नौर पहुंचने के लिए कई तरह के जोखिम उठाने पड़ते हैं। देश के अलग हिस्सों से किन्नौर को जोड़ने के लिए एक सड़क का निर्माण किया गया। इस सड़क को पहाड़ों को काट कर बनाया गया हैं।
यहां की सड़क में बहुत सारे अंधे मोड़ हैं, जिसके कारण आगे कुछ भी नहीं दिखाई देता हैं। यदि आपका ध्यान जरा भी चूका तो आप सीधे नीचे गहरी खाई में जाएंगे। किन्नौर जिला तिब्बत से भी जुड़ा हुआ हैं।
Nice
ReplyDeleteNice
ReplyDeletehttps://negi1983.blogspot.com/2020/02/blog-post_84.html?m=1