Sunday, 6 December 2015

यहां रहता है भूतों का रहस्मयी दुनिया

क्या भूत-प्रेत होते हैं? इसका जवाब ना और हां दोनों में ही मिलता है। कुछ लोग मानते हैं की भुत जैसी कोई चीज होती ही नहीं है, जबकि ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो मानते हैं कि न केवल भूत, प्रेतों का अस्तित्व होता है वरन यह अपनी विनाशकारी गतिविधियों से लोगों को डराते भी रहते हैं। हालांकि दुनिया में ऐसे भी स्थान हैं, विचित्र और दिलचस्प अनुभवों के बारे में जाने जाते हैं।  

इन जगहों पर निरंतर होने वाली रहस्यमय घटनाएं भूत-प्रेतों के अस्तित्व के बारे में जिज्ञासा को और अधिक बढ़ाती हैं। अनेक लोगों ने दावा किया है कि जब वे इन स्थानों पर थे तब उन्हें विचित्र रहस्यात्मक अनुभव हुए तथा कुछ अदृश्य शक्तियों का अनुभव हुआ। आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही स्थानों के बारे में...

व्हाईट हॉउस : व्हाइट हाउस वॉशिंगटन की ऐसी ही इमारतों में से एक है। अब्राहम लिंकन, अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति थे। अमेरिका के राष्ट्रपति के सरकारी आवास व्हाइट हाउस में अप्रैल 1865 में इनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके पश्चात अब्राहम लिंकन का भूत अक्सर व्हाइट हाउस में देखा जाता है जिसे विंस्टन चर्चित समेत कई लोगों ने देखा है। राष्ट्रपति ग्रेस कुलीज की पत्नी केल्विन कुलीज ने बताया कि उन्हें आभास हुआ कि राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन व्हाइट हाउस के ओवल दफ्तर की खिड़की के पास खड़े हुए दिखाई दिए। जब वे लिंकन की हत्या पर बना टेलीविजन प्रोग्राम देख रही थीं तभी उन्हें यह अहसास एहसास हुआ कि राष्ट्रपति लिंकन वहां उनके पास बैठे हुए हैं।

यह भी कहा जाता है कि लिंकन का भूत राष्ट्रपति रूजवेल्ट के कार्यकाल में सर्वाधिक देखा गया। एक बार राष्ट्रपति रूजवेल्ट की पत्नी अध्ययन कक्ष में बैठकर पढ़ रही थीं कि उन्हें वहां पर अब्राहम लिंकन की उपस्थिति का आभास हुआ। यह अध्ययन-कक्ष राष्ट्रपति लिंकन का शयनकक्ष था।

नीदरलैंड की महारानी विलमिना एक बार जब अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान व्हाइट हाउस में रुकी हुई थीं तब देर रात उनका किसी ने दरवाजा खटखटाया। जब उन्होंने दरवाजा खोला तो राष्ट्रपति लिंकन को वहां खड़े पाया। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल नहाकर बाथरूम से बाहर आए तो उन्होंने कमरे में फायर प्लेस के पास राष्ट्रपति लिंकन को बैठे देखा।

भुतहा कार, जिसने जापान की एक कार रेस में भाग लिया था :  मई 1963 में जापान में द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात पहली बार कार रेस का आयोजन किया गया। ’असानो मोसाना’ जापान के प्रसिद्ध कार रेसर थे। कहा जाता है कि उन्होंने जिस भी कार रेस में भाग लिया, वह प्रतियोगिता हमेशा उन्होंने ही जीती थी। इस रेस में भी ’असानो मोसाना’ ने भाग लिया था। इनकी कार का नंबर 42 था। 

जापान में 42 नंबर शुभ नहीं माना जाता है, वहां इसे मृत्यु का प्रतीक माना जाता है। असानो मोसाना ने इसे अंधविश्वास कहते हुए अपनी कार का नंबर 42 ही रखा तथा उस कार के साथ रेस में भाग लिया। उस कार रेस में उनकी कार बुरी तरह से दुर्घटनाग्रस्त हो गई और उनकी इस दुर्घटना में मृत्यु हो गई। इसके पश्चात जापान ऑटो फेडरेशन ने कार रेस में 42 नंबर की कार पर रोक लगा दी थी।

इसके एक वर्ष पश्चात जापान में पुनः कार रेस का आयोजन हुआ। इस कार रेस के समय लगभग डेढ़ लाख दर्शक उपस्थिति थे। इस कार रेस में कार नं. 42 को कुछ समय के लिए रेस में भाग लेकर गायब होते हुए देखा गया। लोगों का मानना है कि ये असानो मोसाना का भुत ही था जिसने कार नंबर 42 के माध्यम से इस रेस में भाग लिया था।
नियाग्रा फाल की चीखती गुफा :  यह गुफा नियाग्रा फाल को टोरंटों एवं न्यूयॉर्क से जोड़ने वाली रेलवे लाइन के नीचे बनी है। यहां पर माचिस, लाइटर या किसी भी प्रकार की आग जलाने की मनाही है। ऐसा कहा जाता है कि जिसने भी यहां पर ऐसा किया उसकी मृत्यु हो गई। कहा जाता है कि इस गुफा के दक्षिणी प्रवेश द्वार के पास बने फार्म हाउस में एक बार आग लग गई थी तथा उसमें एक युवा स्त्री जलकर भस्म हो गई थी। उस फार्म हाउस में आग क्यों और कैसे लगी थी, यह अब तक एक रहस्य बना हुआ है।  

जलती हुई अवस्था में गुफा के दक्षिणी द्वार से प्रविष्ट होकर मदद के लिए चिल्लाते हुए उस स्त्री ने इस गुफा में ही दम तोड़ दिया था, परन्तु मदद न मिलने के कारण उसकी वहां पर मृत्यु हो गई थी। इसके पश्चात जिसने भी गुफा के दक्षिणी द्वार के पास माचिस या आग जलाने का प्रयास किया उसकी मृत्यु हो गई।
 

एडिनबर्ग का किला :  एडिनबर्ग (स्कॉटलैंड) शहर यूरोप के भुतहा शहर के नाम से प्रसिद्ध है। यहां का किला भी भुतहा किले के नाम से जाना जाता है। यह किला लगभग 900 वर्ष पहले 12वीं शताब्दी में बना था। इसके निर्माण के पश्चात इसे मुख्यतः सैनिक छावनी के रूप में ही प्रयोग किया जाता रहा है। इस दौरान इस किले पर अनेक बार आक्रमण भी हुए तथा अनेक सैनिकों की निर्ममता से हत्याएं भी हुईं। अब यहां पर्यटक अक्सर इस किले में घूमने के दौरान रहस्यमय अनुभूतियां होने का दावा करते हैं। 

वर्ष 2001 में यह किला पैरानॉर्मल सर्वेक्षण का केंद्र बना। इस वर्ष 9 शोधकों के नेतृत्व में लगभग 200 स्वयंसेवकों के दल के साथ, जिन्हें इस किले के इतिहास के बारे में कुछ भी मालूम नहीं था, किले के विभिन्न भागों का सर्वेक्षण किया। इन स्वयंसेवकों को किले में घूमने को कहा गया। उन्हें यह नहीं बताया गया कि इस किले के कुछ भाग भुतहा हैं। परन्तु आश्चर्यजनक रूप से 200 स्वयंसेवकों में से 50 प्रतिशत ने बताया कि किले के भुतहा क्षेत्र से गुजरते हुए उन्हें विचित्र अनुभूतियां हुईं।

उन्होंने बताया कि वहां उन्हें कुछ धुंधली आकृतियां दिखाई दीं, उस दौरान उन्हें शरीर में अजीब प्रकार की जलन का अनुभव भी हुआ। कुछ को ऐसा लगा कि कोई उनके कपड़े पकड़कर खींच रहा है। कुछ को वहां के तापमान में अत्यधिक गिरावट महसूस हुई तथा कुछ को अत्यधिक घुटन का एहसास हुआ।

हीथ्रो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, लन्दन :  हीथ्रो हवाई अडडे पर हाईवेमैन यानी डिक टर्पिन का भुत अक्सर देखा जाता है। टर्पिन ने हाइवे पर बहुत सी हत्याएं, बलात्कार एवं लूटपाट की थी। इस कारण उसे 1739 में फांसी की सजा दे दी गई थी। इसके पश्चात डिक टर्पिन का भूत हीथ्रो हवाई अड्‍डे के मुख्य टर्मिनल पर अक्सर देखा जाता है। इसी हवाई अडडे पर 1948 में एक हवाई जहाज रनवे पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इसमें जहाज में सवार सभी यात्री मारे गए थे। 

जहाज के क्षतिग्रस्त होने के बाद जब रेस्क्यू वर्कर्स जहाज के मलबे को हटा रहे थे तो अचानक एक व्यक्ति आकर अपने सूटकेस के बारे में पूछने लगा। थोड़ी देर के पश्चात वह गायब हो गया। कुछ देर पश्चात रेस्क्यू वर्कर्स को उस व्यक्ति की लाश जहाज के मलबे में मिली। उसके पश्चात वह व्यक्ति सर्वे पर अक्सर देखा जाता रहा है। 1970 में एक दिन राडार पर एक मानव आकृति निरंतर दिखाई दे रही थी परन्तु रनवे पर बहुत खोजने के बाद भी कोई नहीं मिला था।

चीन की ग्रेट दीवार विश्व के सात आश्चर्यों में से एक है। इस दीवार का निर्माण सैकड़ों वर्ष में पूरा हुआ था। ऐसा कहा जाताहै कि इस निर्माण के दौरान लाखों मजदूरों एवं सैनिकों की मौत अपने घरों से बहुत दूर इसी दीवार के आसपास हुई दुर्घटनाओं में हो गई थी। इस दीवार पर घूमते समय अनेक पर्यटकों को विचित्र अनुभूतियां हुई हैं। किसी को धुंधली आकृतियां दिखीं तो अचानक किसी को अदृश्य जकड़न का एहसास हुआ। कुछ पर्यटक को तो यहां तक भी कहते हैं कि किसी अदृश्य व्यक्ति ने उन्हें थप्पड़ भी मारा है। बीजिंग के उत्तर की ओर स्थित दीवार के हिस्से को ’वाइल्ड वॉल’ कहा जाता है तथा यह भाग भुतहा इलाके के नाम से प्रसिद्ध है।

नई दिल्ली की कोठियां :  इसके अलावा भारत की राजधानी नई दिल्ली का हार्ट मानी जाने वाली जगह शाहजहा रोड तथा तिलक मार्ग पर ऐसी भव्य कोठियां हैं जो भुत बंगला कहलाती हैं और किसी को अलॉट नहीं होतीं या उसमें टिकने वाले मेहमान एक रात से ज्यादा उसमें नहीं रह पाते हैं। ये इमारतें सीपीडब्ल्यूड़ी के संरक्षण में हैं।

बरमूडा त्रिकोण : यह क्षेत्र डेविल्स ट्रायंगल के नाम से भी जाना जाता है। यह उत्तरी अटलांटिक महासागर के पश्चिमी भाग में है। वहां से गुजरने वाले सभी जहाज रहस्मय ढंग से गायब हो जाते हैं यहां तक कि इस क्षेत्र के ऊपर से गुजरने वाले हवाई जहाज भी रहस्यमय ढंग से गायब हो जाते हैं। इन रहस्यों पर से आज तक कोई पर्दा नहीं उठा पाया है। कुछ लोग इसे भुतहा शक्तियों का प्रभाव भी मानते हैं।

भारत की 13 सबसे खतरनाक सड़कें, हिम्मत हो तो ही जाएं

भारत में यूं तो बहुत सारे घाट, घाटी और पहाड़ी रास्ते हैं, लेकिन इनमें से कुछ तो ऐसे खतरनाक हैं कि जहां हर वक्त मौत का साया मंडराता रहता है। वाहन चालक का ध्यान जरा भी चूका तो समझो निश्चित ही चालक सहित सभी सवारी मौत के मुंह में चली जाएगी।
 


 

ऐसे ही कुछ खास और प्रसिद्ध रास्तों के बारे में हमने जानकारी जुटाई है। आप भी यदि कहीं जा रहे हैं, तो यह देख लें कि कहीं आपकी मंजिल के रास्ते में यह खतरनाक रास्ते तो नहीं है और यदि है तो आप संपूर्ण इंतजाम और सावधानी से जाएं। कहते हैं कि जानकारी ही बचाव है।

हालांकि यदि आप रोमांचक और साहसिक यात्रा के शौकिन है तो यह रास्ते आपने लिए सबसे अच्छे साबित होंगे, लेकिन यदि आप डरते हैं तो इन रास्तों पर से सही सलामत गुजर जाने के बाद आपको जिंदगी भर इसी के सपने आते रहेंगे।

पतरातू घाटी के खतरनाक रास्ते : भारतीय राज्य झारखंड में यूं तो पहाड़ी पर बहुत सारे घुमावदार रास्ते मिल जाएंगे लेकिन रामगढ़ से रांची के बीच की 35 किलोमीटर लंबी पतरातू घाटी का घुमावदार मोड़ जानलेवा है। हरे-भरे पेड़ों से घिरी घाटी की इस सड़क से नीचे उतरते हुए दो दर्जन से ज्यादा खतरनाक, घुमावदार मोड़ आते हैं। इस घाटी रास्ते में हरियाली के लिए लगाए गए लगभग 39 हजार पेड़ हैं।
इन घुमावदार रास्ते के एक किनारे पर हरे भरे वृक्ष और पहाड़ी है तो दूसरी किनारे पर गहरी खाई, इसकी वजह से यहां हमेशा बहुत सुरक्षित ड्राइविंग करनी पड़ती है। यहां एक भी चूक भारी पड़ सकती है। यह रोड पिठोरिया होते हुए पतरातू डैम साइट तक जाती है। घाटी के रास्ते में बरसाती नदियां और कुछ मौसमी झरने भी पड़ते हैं। बरसात में पूरी घाटी हरियाली की चादर में लिपटी है।
गंगटोक-नाथुला रोड : नाथुला दर्रा भारत के सिक्किम में डोगेक्या श्रेणी में स्थित है। यह दर्रा हिमालय के अंतर्गत पड़ता है। नाथूला दर्रा भारत के सिक्किम राज्य और दक्षिण तिब्बत में चुम्बी घाटी को जोड़ता है। यह 14 हजार 200 फीट की ऊंचाई पर है। इसी रास्ते से होकर कैलाश मानसरोवर जाया जा सकता है। हाल ही में चीन ने इसका रास्ता खोल दिया है। यह दर्रा प्राचीन रेशम मार्ग (सिल्क रूट) का भी एक ‍हिस्सा है।
यह दर्रा गंगटोक के पूर्व की ओर 54 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। गंगटोक से नाथुला दर्रा तक जो रोड जाती है वह विश्‍व की खतरनाक सड़कों में से एक है। नाथूला दर्रे से निकटतम रेलवे स्टेशन 'न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन' है। गंगटोक भारत के उत्तर-पूर्व में स्थित सिक्किम की राजधानी है। गंगटोक देश के प्रमुख महत्त्वपूर्ण हिल स्‍टेशनों में एक है। 
मसूरी रोड : देहरादून से मसूरी तक का रास्ता ऊंची ऊंची पहाड़ियों से होकर गुजरता है। लगभग 333 किलोमीटर का यह खतरनाक रास्ता हरे भरे वृक्षों से लदा हुआ है। रोमांच की चाह रखने वालों के लिए यह बहुत ही शानदार सफर है। यदि आप पुणे की पहाड़ियों से होकर मसूरी पहुंचते हैं तो रास्ते का रोमांच आप जिंदगी भर याद रखेंगे। 
धनोल्टी से मसूरी का सफर भी बहुत ही खतरनाक और रोमांच भरा है। यहां के घाट और रास्ते में पड़ने वालों गांवों की सकरी गलियों में सफर करना बहुत ही सुखदायक है। घने वृक्षों, बर्फ की पहाड़ी और जंगलों से भरे इस रास्ते के अनुभव यादगार रहेंगे। पहाड़ों पर विहंगम दृश्यों को देखकर आप उसे कभी नहीं भूल पाएंगे। देवभूमि उत्तराखंड तो वैसे ही प्राकृतिक संपदा से भरपूर है, लेकिन यहां के रास्ते बहुत ही खतरों से भरें हुए हैं।
रोहतांग पास : हिमाचल प्रदेश में स्थित रोहतांग पास बहुत ही खतरनाक रोड है। यहां किसी भी प्रकार का वाहन चलाना आसान नहीं है। यहां आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती है। पहले रोहतांग को भृगु तुंग कहते थे।  मनाली से रोहतांग पास जाना बहुत ही खतरों और रोमांच से भरा है। यहां रोहतांग दर्रा है जो उत्तर में मनाली, दक्षिण में कुल्लू शहर से 51 किलोमीटर दूर यह स्थान मनाली-लेह के मुख्यमार्ग में पड़ता है। पूरा वर्ष यहां बर्फ की चादर बिछी रहती है। यह सड़क मई से नवंबर तक आम तौर पर खुला है। 
रोहतांग दर्रा और सोलांग वैली देखने के लिए कई साहसी पर्यटक रोहतांग पास की यात्रा करते हैं। रोहतांग का सफर बहुत ही सुहाना और रोमांचकारी होता है। हालांकि यहां के खतरनाक मोड़ और घाटियां दिल दहला देने वाली है। रोहतांग दर्रा समुद्री तल से 4111 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं। यह हिमालय का एक प्रमुख दर्रा है।
हाइवे पर व्यास नदी के साथ चलते हुए सारा रास्ता प्राकृतिक नजारों से भरा पड़ा हुआ है। प्रकृति की गोद में पड़ने वाले बर्फ से ढंकी पहाड़, नदी, नाले, छोटे-छोटे घर, घने वन और हरियाली के बीच में बने होटल, रिसोर्ट, लहराती सड़कों के दृश्य अपने आप में अजूबे हैं।
किलाड़-किश्तवाड़ रोड : भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर में स्थित किलाड़ से किश्तवाड़ के बीच की सड़क दुनिया की सबसे खतरनाक सड़कों से एक है। यहां कार से जाने का मतलब सीधे-सीधे आत्महत्या करने जैसा है। हिमाचल और जम्मू एवं कश्मीर में स्थित पांगी घाटी में स्थित है यह घाटी मार्ग।
जम्मू क्षेत्र से कश्मीर जाने के लिए तीन रास्ते हैं- पहला जम्मू-श्रीनगर हाईवे, दूसरा है मुगल रोड और तीसरा है किश्तवाड-अनन्तनाग मार्ग। बटोड से डोडा-किश्तवाड 110 किलोमीटर है। पुलडोडा से किश्तवाड लगभग 55 किलोमीटर है। श्रीनगर के रास्ते में सिंथन टॉप दर्रा पडता है जो लगभग 3800 मीटर ऊंचा है। सिंथन टॉप रोहतांग का ‘सहोदर’ है। दोनों ही दर्रे पीर पंजाल की श्रंखला में स्थित हैं। किश्तवाड से आगे चेनाब के साथ-साथ यही सड़क पद्दर, पांगी होते हुए लाहौल भी जाती है।
बाइक से इसका सफर भी मौत के मुंह में जाने जैसा है। यदि बाइक से आप रोड पार कर जाओ तो फिर किसी मंदिर या ‍दर्गा पर जाकर माथा जरूर टेक देना। इसके अलावा उदयपुर-पांगी-किश्तवाड़ सड़क मार्ग भी बेहद ही खतरनाक है। यहां वही व्यक्ति जाए जो खतरों का खिलाड़ी हो। 
तिरुपति मंदिर रोड़ : तिरुपति तीर्थ स्थल आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में है। यहां समुद्र तल से 3200 फीट ऊंचाई पर स्थित तिरुमला की पहाड़ियों पर बना श्री वैंकटेश्‍वर मंदिर दुनियाभर में प्रसिद्ध है।
यहां तक पहुंचने के लिए पहाड़ियों की ओर चढ़ती हुई कई घुमावदार और खतरनाक सड़कों को पार करना होता है तब जाकर कहीं भग के दर्शन होते हैं, लेकिन यदि आप जरा भी ध्यान चूके तो सीधे भगवान के पास पहुंच जाएंगे। यहां दुर्घटनाओं का खतरा हर दम बना रहता है।
मुन्नार रोड़ : मुन्नार को कोच्चि से जोड़ने वाला दर्रा है मुन्नार रोड़, जो लगभग 130 किलोमीटर का है। समुद्र तल से 1700 मीटर के ऊंचाई पर स्थित मुन्नार केरल का एक हिल स्टेशन हैं।
यहां रास्ता घुमावदार, सकड़ा और कई जगहों से खड़ा है। नीचे खाई नजर आती है जहां शाम ढलते ही अंधेरा और धुंध छाने लगती है। अगर आपके वाहन में फॉग लाइट नहीं हो तो आप इस सड़क पर नहीं चल सकते हैं।
माउंट आबू रोड : माउंट आबू राजस्थान का एकमात्र पहाड़ी नगर है। समुद्र तल से यह 1220 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहा पहाड़ आरावली पहाड़ियों की श्रंखला का सर्वोच्च शिखर है। यहां जैन और हिन्दू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थान है।
माउंट आबू तक पहुंचने के लिए 28 किलोमीटर के दर्रे से जाना पड़ता है जो आबू रोड़ से शुरू होता हैं। यह सड़क कुछ जगहों पर बहुत खतरनाक हो जाती है। जहां एक बार में एक ही वाहन सड़क पर चल सकता हैं, ऐसे में बहुत सावधानी रखना होती है। सावधानी हटी की दुर्घटना घटी। नीचे खाई में गिरने के मौके बहुत होते हैं
खारदोंग ला दर्रा : हिमालय का एक प्रमुख दार्रा खारदोंग ला दर्रा है। यहां की सड़क को दुनिया की सबसे ऊंचाई पर स्थित सड़क माना जाता है। समुद्र तल से 5359 मीटर के ऊंचाई पर स्थित है यह दर्रा। यह भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में पड़ता हैं। यहां की जलवायु काफी ठंड होती हैं और ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहां ऑक्सीजन की कमी होती हैं।
चैंग ला दर्रा : 134 किलोमीटर लंबी इस सड़क को दुनिया की तीसरी सबसे ऊंचाई पर स्थित सड़क का दर्जा प्राप्त है। यह दर्रा लद्दाख में स्थित है, जोकि समुद्र तल से 5360 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां की जलवायु काफी ठंड होती हैं और ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहां ऑक्सीजन की कमी होती हैं।
ज़ोजिला दर्रा : श्रीनगर और लेह हाईवे के बीच में भारत के सबसे खतरनाक मार्गों में से एक ज़ोजिला दर्रा समुद्री तल से 3538 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं।

यह सड़क बहुत संकरी है और यहां भारी बर्फबारी, जानलेवा हवाएं और लगातार भूस्थलन होता रहता है। थोड़ी बहुत बारिश से ही इस पर कीचड़ जमा हो जाती हैं, जिसके कारण सड़क पर फिसलन बढ़ जाती हैं।

लेह-मनाली हाईवे : मनाली-लेह हाईवे उत्तर भारत में हिमाचल प्रदेश के मनाली और जम्मू एवं कश्मीर के लेह को जोड़ने वाला राजमार्ग है। अक्टूबर में बर्फबारी होने के कारण यह बंद हो जाता है।
यह मनाली को लाहौल-स्पीति और जांस्कर से भी जोड़ता है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग-21 का ही भाग है। यह सड़क कुछ जगहों पर दोनों तरफ से पहाड़ों से घिरी हुई और घुमावदार है। यहां अक्सर भूस्खलन होती रहती हैं। इस सड़क पर बाइक से यात्रा करना भी साहसिक लोगों के बस की बात है।
किन्नौर रोड़ : हिमाचल प्रदेश के प्रमुख जिले किन्नौर पहुंचने के लिए कई तरह के जोखिम उठाने पड़ते हैं। देश के अलग हिस्सों से किन्नौर को जोड़ने के लिए एक सड़क का निर्माण किया गया। इस सड़क को पहाड़ों को काट कर बनाया गया हैं।
यहां की सड़क में बहुत सारे अंधे मोड़ हैं, जिसके कारण आगे कुछ भी नहीं दिखाई देता हैं। यदि आपका ध्यान जरा भी चूका तो आप सीधे नीचे गहरी खाई में जाएंगे।  किन्नौर जिला तिब्बत से भी जुड़ा हुआ हैं।